कक्षा 10वीं हिंदी एनसीईआरटी समाधान स्पर्श अध्याय कबीर – साखी प्रश्न उत्तर

NCERT Solutions for Class 10 Hindi Sparsh Chapter 1 Sakhi FAQ: कक्षा 10वीं बोर्ड परीक्षा में कबीर-साखी से जुड़े कुछ प्रश्न जरूर पूछें जाते है ऐसे में परीक्षा में अच्छे अंक लाने के लिए हर छात्रों को कक्षा 10वीं हिंदी एनसीईआरटी समाधान स्पर्श अध्याय कबीर – साखी प्रश्न उत्तर को जरूर पढ़ना चाहिए।

अगर आप छात्र है और 10वीं कक्षा में है तो आपके लिए हमारा आर्टिकल काफी महत्वपूर्ण साबित हो सकता है क्योंकि आज के इस लेख में हमने आपके साथ कक्षा 10वीं हिंदी के सभी पाठों के समाधान सत्र 2014-25 के अनुसार संशोधित किए गए कक्षा 10वीं हिंदी एनसीईआरटी समाधान स्पर्श अध्याय कबीर – साखी प्रश्न उत्तर (NCERT Solutions for Class 10 Hindi Sparsh Chapter 1 Sakhi FAQ) को साझा किया है। जो आपकी तैयारी में आपकी काफी अच्छी मदद कर सकते है।

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पोस्ट में क्या है –

कक्षा 10वीं हिंदी एनसीईआरटी समाधान स्पर्श अध्याय कबीर

प्रिय छात्रों अगर आप कक्षा 10 के छात्र है तो आपको पता होगा की हर 10वीं परीक्षा में Class 10 Hindi Sparsh Chapter Kabir – Sakhi Question Answer जरूर पूछे जाते है. जिनके बारे में आपको पता होना बहुत जरूरी होता है. आपके मार्गदर्शन के लिए हमने इसीलिए इस लेख में कक्षा 10वीं हिंदी एनसीईआरटी समाधान स्पर्श अध्याय कबीर – साखी प्रश्न उत्तर को साझा किया है, जिनके बारे में आप नीचे जानेंगे।

कक्षा 10वीं हिंदी एनसीईआरटी समाधान स्पर्श अध्याय कबीर - साखी

NCERT Solutions for Class 10 Hindi Sparsh Chapter 1 Sakhi FAQ

मीठी वाणी बोलने से औरों को सुख और अपने तन को शीतलता कैसे मिलती है?

मीठी वाणी बोलने वाले व्यक्तियों में अहंकार नहीं होता है उनका मन शांत रहता है और दूसरे व्यक्ति भी उसके मधुर वचन सुनकर प्रसन्न होते हैं। इसीलिए दूसरों को सुख पहुंचाने और अपने आप को शीतलता प्रदान करने के लिए हमेशा मीठी वाणी बोलनी चाहिए।

दीपक दिखाई देने पर अंधेरा कैसे मिट जाता है साखी के इस संदर्भ को स्पष्ट कीजिए?

दीपक को रोशनी में ऐसा प्रकाश होता है जिसके प्रभाव से अंधेरा नष्ट हो जाता है। इसी प्रकार ज्ञान रूपी दीपक अपने प्रकाश से अज्ञान रूपी अंधकार को नष्ट कर देता है। इस तरह से हम कहे सकते है कि ज्ञान के प्रकाश से व्यक्ति का अंधकार नष्ट हो जाता है।

ईश्वर कण-कण में व्याप्त है पर हम उसे क्यों नहीं देख पाते हैं

कण-कण ही ईश्वर है, ईश्वर की चेतना से ही हम यह संसार देख पाते है। चारों ओर ईश्वरीय चेतना के अतिरिक्त कुछ भी नहीं है। लेकिन यह सब कुछ हम इन भौतिक आंखों से नहीं देख सकते। सरल शब्दों में कहें तो हमारे शरीर में ईश्वर का वास है पर हम उसे नहीं दे पाते और इधर-उधर भटकते रहते हैं।

संसार में सुखी व्यक्ति कौन है और दुखी व्यक्ति कौन है? यहां सोना और जागना किसके प्रतीक है ? इसका प्रयोग यहां क्यों किया गया है? स्पष्ट कीजिए?

इस संसार में वही व्यक्ति सुखी है जो भगवान की प्राप्ति के लिए प्रयास से दूर रहकर सांसारिक विषयों में डूब कर आनंदपूर्वक सोता है। ठीक इसके विपरीत वह व्यक्ति जो प्रभु को पाने के लिए तड़प रहा है, उनके वियोग में दुखी है वही जाग रहा है। यहां पर सोना का प्रयोग प्रभु प्राप्ति के प्रयासों से प्रमुख होने और जागना प्रभु प्राप्ति के लिए किया जा रहे प्रयासों का प्रतीक है। इसका प्रयोग मानव जीवन में संचारिक विषय वासनाओं से दूर रहने तथा सचेत करने के लिए किया गया है।

अपने स्वभाव को निर्मल रखने के लिए कबीर ने क्या उपाय सुझाया है?

कबीर ने अपने स्वभाव को निर्मल रखने के लिए कभी ने निंदक को अपने पास रखने की सलाह दी है। क्योंकि निंदा करने से ही हमारे अंदर आहा का भाव नहीं आएगा और मन निर्मल तथा पवित्र हो जाएगा।

‘ऐकै अषिर पीव का, पढ़े सु पंडित होइ’–इस पंक्ति द्वारा कवि क्या कहना चाहता है?

इस पंक्ति में कवि ईश्वर के बारे में बताना चाहता है। कवि का कहना है, कि ईश्वर प्रेम से ही हमें ज्ञान और मुक्ति मिल सकती है।

कबीर की उद्धृत साखियों की भाषा की विशेषता स्पष्ट कीजिए?

कबीर जी की साखियों की भाषा की विशेषता है कि यह एक जान भाषा है। उन्होंने जन चेतना और जन भावनाओं को अपनी साधुक्कड़ी भाषा द्वारासाखियों के माध्यम से जन -जन तक पहुँचाया।

बिरह भुवंगम तन बसै, मंत्र न लागै कोइ।

इस पंक्ति में कबीर जी विरहा के महत्व को समझाते हुए कहा कि जब गृह रूपी सर्प शरीर में अपना वास कर लेता है तो कोई भी मंत्र काम नहीं करता है।

कस्तूरी कुंडलि बसै, मृग ढूँढे बन माँहि।

इस पंक्ति में कबीर जी कहते हैं कि जिस प्रकार हिरण की नाभि में कस्तूरी होने पर भी वह उसकी सुगंध को पाने के लिए पूरे जंगल में भटकता रहता है वैसे ही मनुष्य भी ईश्वर के ज्ञान के अभाव में उसे ढूंढता फिरता रहता है

जब मैं था तब हरि नहीं, अब हरि हैं मैं नाँहि।

इस पंक्ति में कबीर जी कहते हैं कि जब मेरे अंदर मैं का भाव अहंकार था तब तक मुझे हरि की प्राप्ति नही हुई थी। और जब मेरे अंदर से अहंकार समाप्त हो गया तब मुझ पर ईश्वर की कृपा हो गई।

पोथी पढ़ि पढ़ि जग मुवा, पंडित भया न कोई।

इस पंक्ति में कबीर जी कहना चाहते हैं कि बड़े-बड़े ग्रंथ पढ़कर लोग अपने को ज्ञानी समझने लगते हैं लेकिन ईश्वर के प्रति यदि प्रेम और भक्ति का भाव नहीं जाएगा तो यह पूर्ण ज्ञानी नहीं बन सका अर्थात अज्ञानी ही रह जाता है

हर प्राणी में राम के बसने की तुलना किससे की गई है?

हर प्राण में राम बसने की तुलना अज्ञानता और मनुष्य के बीच की गई है। जिस तरह से मनुष्य अपनी अज्ञानता और अहंकार के कारण यह बात नहीं समझ पाता की की भगवान हर कण, वास, घाट में है। जिस तरह से हिरण की नाभि में कस्तूरी होती है और हिरण को उसका पता नहीं होता है।

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  2. FAQs for Voters In Hindi: मतदाताओं के लिए अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

निष्कर्ष

छात्रों की कक्षा 10 की तैयारी के लिए कक्षा 10वीं हिंदी एनसीईआरटी समाधान स्पर्श अध्याय कबीर – साखी प्रश्न उत्तर काफी सहायक है जिसे हमारे इस लेख के माध्यम से आपके साथ साझा किया है. आशा करते ही आपको लेख में दिए गए कक्षा 10 हिंदी स्पर्श अध्याय कबीर – साखी प्रश्न उत्तर महत्वपूर्ण रहे होंगे। इस लेख को अपने दोस्तों के साथ जरूर साझा करे जो 10 कक्षा में अध्ययन कर रहे है.

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मुकेश चंद्रा ने बीटेक आईटी से 2020 इंजीनिरिंग की है। मै पिछले 7 साल से ब्लॉगिंग के क्षेत्र में कंटेंट राइटर के रूप में कार्यरत हूँ, मुझे लेखन के क्षेत्र में 7 वर्षों का अनुभव है। अपने अनुभव के अनुसार में helpersir.com पर प्रकाशित किये जानें वाले सभी लेखों का निरिक्षण और विषयों का विश्लेषण करने का कार्य करता हूँ।